रोहतक : बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के विशाल सभागार में बृहस्पतिवार को मानविकी संकाय और उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, लखनऊ द्वारा "जीवन मूल्य : साहित्य और समाज" विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र में माँ सरस्वती एवं बाबा मस्तनाथ के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन मुख्य अतिथि डॉ आर सी मिश्र (अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, अंबाला क्षेत्र), विशिष्ट अतिथि डॉ हरीश कुमार (अतिरिक्त महानिरीक्षक, जेल), प्रो रामसजन पाण्डेय (कुलपति, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय), प्रो अंजना राव (अधिष्ठाता, प्रसाशन) एवं डॉ विनोद कुमार (कुलसचिव, बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय) ने किया।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ आर सी मिश्र ने कहा कि जीवन में विद्या ही सब कुछ नहीं है, जीवन मूल्य व विवेचना शक्ति इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। विशिष्ट अतिथि डॉ हरीश कुमार ने कहा कि आज भारत की जेलों में बंद लाखों अपराधी अपने गुनाहों की सजा काट रहे हैं। अपराधी बनने का मुख्य कारण उनका गुस्सा होता है, इसलिए विद्यार्थियों को अपने आवेश को काबू में रखना चाहिए। कुलपति डॉ रामसजन पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा जीवन का अनमोल उपहार है और संस्कार जीवन का सार है; आज इस सार को ग्रहण करने की परम आवश्यकता है। कुलसचिव डॉ विनोद कुमार ने कहा कि जीवन का विशिष्ट मूल्य जीवंतता है और इसे सदचिंतन से ऊर्जस्वित किया जा सकता है। इस अवसर पर संयोजक डॉ अवनीश सिंह चौहान ने राष्ट्रीय संगोष्ठी में पधारे सभी अतिथियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों की प्रसन्न उपस्थिति की सराहना की। इस सत्र का बेहतरीन संचालन डॉ आनंद शर्मा ने किया।
इस एक-दिवसीय अन्तर्विद्यावर्ती राष्ट्रीय संगोष्ठी को अलग-अलग तीन सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम अकादमिक सत्र के अध्यक्ष प्रो सुरेश गौतम (दिल्ली), मुख्य अतिथि प्रो रवि कुमार 'अनु' (पटियाला) एवं विशिष्ट अतिथि प्रो बाबूराम (भिवानी) रहे। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ कृष्णा हुड्डा ने की, जबकि मुख्य अतिथि प्रो पी सी टंडन (दिल्ली) एवं विशिष्ट अतिथि प्रो अजमेर काजल (जेएनयू, दिल्ली) रहे। तृतीय सत्र की अध्यक्षता प्रो पुष्पा रानी (कुरुक्षेत्र) ने की, जबकि मुख्य अतिथि डॉ सुधीर कुमार (जेएनयू, दिल्ली) एवं विशिष्ट अतिथि प्रो संतराम देशवाल (सोनीपत) रहे। आमंत्रित सभी विषय विशेषज्ञों ने जीवन मूल्य, साहित्य, समाज एवं संस्कृति पर धारदार वक्तव्य दिए और जिज्ञासुओं के प्रश्नों को हल कर सुसंस्कृत एवं आनंदमय जीवन जीने के तरीके बताये। सभी सत्रों का सफल संचालन श्रीमती नेहा अनेजा एवं सुश्री अलीशा ढींगरा ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य सहयोग- डॉ रामफूल शर्मा, डॉ अजय बाम्बा, डॉ एस पी शर्मा, डॉ ओ पी सचदेवा, डॉ टी पी सिंह, डॉ पवन जलवाल, डॉ कविता जैन, डॉ बलदेव सिंह मेहरा, डॉ के सी डबास, डॉ सरोजबाला, डॉ सुधीर कुमार, डॉ मंजीत कुमार, डॉ मीनू, डॉ यति, डॉ प्रदीप शर्मा, डॉ कुलदीप, डॉ आशुतोष कौशिक, डॉ अनूप सिंह, डॉ क्रांति कुशवाहा, डॉ राजीव कुलश्रेष्ठ, डॉ कमल कुमार, डॉ तरुण, डॉ हरिओम, सुश्री देविना, डॉ कोमल, डॉ मधु अहलावत, श्री संदीप जांगड़ा, श्री ओमबीर शर्मा, डॉ रेवती नंदन, श्रीमती सुदेश शर्मा, श्रीमती पूनम वर्मा, श्रीमती नरेश कुमारी, सुनीता यादव, ब्रह्मलता, दीपशिखा, संजू, परवेश कुमारी, पूजा, हिमांशी, नंदिनी अहलावत, सविता, नीरू, रचना, सुनीता, शारदा, कुसुम, देवब्रत, प्रीती, रितिका, आँचल, सोनिया, ध्रुव, देव, विशाल, पद्मिनी, लवलेश शर्मा आदि का रहा। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ अवनीश सिंह चौहान (सह-आचार्य, अंग्रेजी विभाग) और सह-संयोजक डॉ जगदीश (सहायक-आचार्य, संस्कृत विभाग) एवं डॉ सुमन राठी (सहायक-आचार्य, हिन्दीविभाग) ने सभी आगंतुकों, अतिथियों, विद्वानों, प्रतिभागियों का ह्रदय से आभार व्यक्त किया।
One-Day Interdisciplinary National Seminar on 'Life Values: Literature and Society' on Jan 07, 2019