इस संसार में तीन प्रकार के मनुष्य होते हैं। एक होते है अर्थ शासित, दूसरे होते है दण्ड शासित और तीसरे होते हैं शास्त्र शासित।
अर्थ शासित वह लोग है जिन्हें पैसा देकर कुछ भी करवाया जासकता है। गलत से गलत। वह धन के लिये सारे संबंधो को समाप्त करने में भी देरी नही करते हैं।
दूसरे- दण्ड शासित लोग होते हैं, जिन्हें धमकाकर/डराकर गलत कार्य करा लिया जाता है। वे कई बार मजबूरी में या भयवश न चाहते हुये भी यह सब करते हैं।
तीसरे वह लोग होते है, जिन्हें शास्त्र शासित कहा जाता है। वे सर्वोच्च श्रेणी के व्यक्ति कहे जाते हैं। इनकों केवल और केवल शास्त्र से ही समझाया जासकता है; अन्य कोई उपाय नही होता है। लोभ या डर/धमकियों से वे उग्र तो हो सकते है, पर गलत कार्य नहीं कर सकते। प्रायः ऐसे लोग कम होते हैं; किन्तु होते अवश्य हैं। वे अपने प्राण त्यागने में भी संकोच नही करते (अर्थात प्राणों का मोह नहीं होता हैं)। अतः, स्थिति देखकर ही ऐसे महापुरुषों से व्यवहार करना चाहिये। सभी को एक दृष्टि से ही नही देखना चाहिये; ऐसा करने पर कभी-कभी भयावह स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
- श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य परम्परा संवाहक स्वामी रामदेवानन्द सरस्वती, उमा शक्ति पीठ, वृन्दावन, मथुरा।
Post by Abnish Singh Chauhan