इधर रायबरेली के प्रतिष्ठित साहित्यकार परम श्रद्धेय राजेंद्र बहादुर सिंह 'राजन' जी की दो पुस्तकें डाक से प्राप्त हुईं- 'गीत हमारे सहचर' (गीत-नवगीत पर केंद्रित संग्रह) और 'ढाई आखर' (उपन्यास)। 10 जून 1954 ई. को जन्मे आदरणीय राजन जी की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'भर्तृहरि' (खंड काव्य) 'हिमालय की पुकार' (काव्य कृति), 'चंदन विष' (उपन्यास) 'बादल के अलबेले रंग' (बाल गीत संग्रह), कदम्ब (हाइकु संग्रह), 'प्रायश्चित' (उपन्यास), कविता की तलाश (काव्य संग्रह), माटी की सौगंध (नाट्य संग्रह), मीरा (खंड काव्य), गुरुदेव की शरण में (संस्मरण), कवि और कविता (लक्षण ग्रंथ), गीत हमारे सहचर (गीत संग्रह), जिंदगी के रंग (गजल संग्रह), ढाई आखर (उपन्यास) प्रमुख हैं। गांव-जवार का यह मितभाषी, सहज, मिलनसार रचनाकार हिन्दी साहित्य को इतनी कृतियां देने के बाद भी साहित्य की मुख्यधारा/सोशल मीडिया आदि से कोसों दूर ही दिखाई पड़ता है। यह विडम्बना नहीं तो और क्या है। रचनाकार का पता- ग्राम फत्तेपुर, पोस्ट बेनीकामा, रायबरेली- 229402, मोबाइल- 860 155 102 2