ISSN: 2277-260X 

International Journal of Higher Education and Research

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समकालीन गीत की भाषा - नचिकेता

वर्ष 1990 के बाद के गीतों ने समकालीन गीत रचना को एक नयी भाषा दी है जो पूर्ववर्ती गीत परम्परा से भिन्न है। वीरेंद्र आस्तिक, यश मालवीय, अवनीश सिंह चौहान आदि ने उपभोक्तावादी जिंसों तथा कम्प्यूटर के उपयोग में लाये जाने वाले तकनीकी शब्दों को इन गीतों के बिम्ब और प्रतीक के रूप में इस्तेमाल कर गीत-रचना की काव्य भाषा को अत्यधिक आधुनिक और समृद्ध बनाया है। 

- नचिकेता, वरिष्ठ कवि एवं आलोचक, पटना, बिहार
गीत वसुधा, पृष्ठ 51, 2013


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