सहारनपुर : 17-18 अगस्त को मुन्नालाल एण्ड जयनारायण खेमका गर्ल्स कॉलेज में अंग्रेजी विभाग द्वारा द्विदिवसीय ऑनलाइन रचनात्मक लेखन कार्यशाला— 'Artefacts of Words' (द्विभाषी) का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रांतों से आमंत्रित वक्ताओं ने अपने सारगर्भित विचार रखे। कार्यशाला का उद्देश्य छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों, जिज्ञासुओं को रचनात्मक लेखन की विभिन्न विधाओं के ऐतिहासिक स्वरुप और रचना प्रक्रिया के तकनीकी पक्ष से परिचित कराना, प्रयोगात्मक रूप से सर्जनात्मकता और नवोन्मेष को बढ़ावा देना और लॉकडाउन की अवधि का उचित उपयोग करना रहा।
कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। श्री दिग्विजय गुप्ता के संरक्षकत्व में कर्मठ प्राचार्या डाॅ अमिता अग्रवाल ने कार्यशाला का उद्देश्य प्रकट करते हुए कार्यक्रम की मुख्य अतिथि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की प्रो-वाइस-चांसलर प्रो. वाई. विमला का स्वागत किया तथा उनकी उपलब्धियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। प्रो. वाई. विमला ने रचनात्मक लेखन पर कार्यशाला आयोजित करने के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों को शुभकामनायें देते हुए दादी-नानी की कहानियों में बच्चों की कथात्मक अभिरुचि के महत्व को रेखांकित किया। तदुपरांत इस कार्यशाला की संयोजिका संवेदनशील कवयित्री डाॅ अनुपम बंसल (सह-आचार्य, अंग्रेजी विभाग) द्वारा आमंत्रित वक्ताओं का परिचय एवं स्वागत कर कार्यक्रम का विधिवत संचालन किया गया।
कार्यक्रम के प्रथम दिन के मुख्य वक्ता जाने-माने अंग्रेजी कवि डॉ. सैयद अली हामिद (पूर्व प्रोफेसर, कुमाऊँ यूनिवर्सिटी, अल्मोड़ा) व द्विभाषी युवा गीतकवि, आलोचक एवं संपादक डॉ. Vikash (प्रोफेसर एवं डीन, फैकल्टी ऑफ़ ह्यूमनिटीज एण्ड जर्नलिज्म, बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी) रहे। डॉ. हामिद ने अंग्रेजी कविता के संक्षिप्त इतिहास पर महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया और स्वरचित अंग्रेजी कविताओं के माध्यम से कविता की तकनीक को साझा किया।
डॉ. अवनीश ने हिंदी और अंग्रेजी— दोनों भाषाओं में कविता के इतिहास और वर्तमान को केंद्र में रखकर काव्य परिभाषाओं को तर्क की कसौटी पर कसते हुए उनके घिसे-पिटे अर्थों की प्रासंगिकता पर सार्थक बातचीत की। उन्होंने कविता और उसकी रचना-प्रक्रिया के सन्दर्भ में कथ्यगत विषयवस्तु, शैल्पिक भाषा और उसके प्रस्तुतिकरण पर भी विस्तार से चर्चा की। इस दौरान मेधावी छात्रा शिविका अग्रवाल की प्रस्तुति— 'पंचतत्व' (पंचमहाभूत), जोकि भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं, श्रोताओं द्वारा खूब सराही गयी।
दूसरे दिन मुख्य वक्ता अंग्रेजी के चर्चित लेखक डॉ. विकास शर्मा (ऐसो. प्रोफेसर, सी.सी.एस. यूनिवर्सिटी, मेरठ), जाने-माने आलोचक डॉ. सुधीर कुमार अरोड़ा (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग, महाराजा हरिशचन्द्र पी.जी. कॉलेज, मुरादाबाद), युवा रचनाकार डॉ. दीपक स्वामी (असिस्टेंट प्रोफेसर, आई.आई.टी., मंडी), व चर्चित लेखिका सुश्री प्रभा श्रीनिवासन (पूर्व अध्यापिका, एगनेल मल्टीपरपज स्कूल, मुंबई) रहे। डॉ. विकास ने क्रिएटिव राइटिंग पर अपने अध्ययन को साझा किया और अपनी प्रेम-कविता से कार्यक्रम को रसमय बना दिया।
डॉ सुधीर ने 'POETRY' शब्द की रचनात्मक व्याख्या करते हुए क्रिएटिव राइटिंग की व्यवहारिकता पर प्रकाश डाला और 'माँ' शीर्षक से अपनी मार्मिक कविता प्रस्तुत की। अगले सत्र में डॉ. दीपक द्वारा स्वरचित मोटीवेशनल कविताओं का सस्वर पाठ, प्रभा जी द्वारा कहानी लेखन के विभिन्न आयामों पर चर्चा और शिवानी शर्मा द्वारा 'कोरोना- एक युद्ध' कविता का पाठ ने कार्यक्रम को रोचक बना दिया।
इन आमंत्रित वक्ताओं के वक्तव्यों का सार-संक्षेप कुशलतापूर्वक प्रस्तुत कर कार्यशाला के वैशिष्ट्य को प्रकाशित करने में कार्यक्रम की विद्वान-संयोजक डॉ अनुपम बंसल पूरी तरह सफल रहीं। उक्त कार्यशाला में डॉ अजय कुमार शर्मा, आयोजन समिति के प्रतिष्ठित सदस्यों— श्रीमती सुनीता जैन, डॉ शबाना सिंह, सुश्री स्वाती शर्मा, सुश्री आरशी इक़बाल और तकनीकी समिति की सभी छात्राओं— शिवानी शर्मा, सिमरन खुराना एवं अनु सैनी सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से सौ से अधिक शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों ने प्रतिभागिता की।
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इस कार्यशाला के दौरान "कविता और उसकी रचना-प्रक्रिया" पर वक्तव्य नेटवर्क प्रॉब्लम के कारण कई बार बाधित हुआ। अतः उसकी क्लिप यहाँ अलग से दी जा रही है।
Two-day National Workshop on "Creative Writing" held in ML & JNK Girls College, Saharanpur on Aug 17-18, 2020