ISSN: 2277-260X 

International Journal of Higher Education and Research

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चरण पखार गहूँ मैं— अवनीश सिंह चौहान

images-14 जून को फोन, ट्विटर, व्हाट्सएप, फेसबुक, ईमेल, एसएमएस, फेसबुक मैसेंजर (मैसेज बॉक्स) आदि के माध्यम से और मन ही मन मुझे मेरे जन्मदिन पर बधाई, शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद देने के लिए अपने सभी मित्रों, अग्रजों, गुरुजनों का अपने इस गीत के माध्यम से हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहूँगा :--
....
चरण पखार गहूँ मैं
.....
मेरी कोशिश सूखी नदिया में-
बन नीर बहूँ मैं

 

बह पाऊँ उन राहों पर भी
जिनमें कंटक बिखरे
तोड़ सकूँ चट्टानों को भी
गड़ी हुई जो गहरे

 

रत्न, जवाहिर मुझसे जन्में
इतना गहन बनू मैं

 

थके हुए को, हर प्यासे को
चलकर जीवन-जल दूँ
दबे और कुचले पौधों को
हरा-भरा नव-दल दूँ

 

हर विपदा में, हर चिन्ता में
सबके साथ दहूँ मैं

नाव चले तो मुझ पर ऐसी
दोनों तीर मिलाए


जहाँ-जहाँ पर रेत अड़ी है
मेरी धार बहाए

 

ऊसर-बंजर तक जा-जाकर
चरण पखार गहूँ मैं।

 

— अवनीश सिंह चौहान


 

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