पीते-पीते आज करीना
बात पते की बोल गयी
यह तो सच है शब्द हमारे
होते हैं घर अवदानी
घर जैसे कलरव बगिया में
मीठा नदिया का पानी
मृदु भाषा में एक अजनबी
का वह जिगर टटोल गयी
प्यार-व्यार तो एक दिखावा
होटल के इस कमरे में
नज़र बचाकर मिलने में भी
मिलना कैद कैमरे में
पलटी जब भी हवा निगोड़ी
बन्द डायरी खोल गयी
बिन मकसद के प्रेम-जिन्दगी
कितनी है झूठी-सच्ची
आकर्षण में छुपा विकर्षण
बता रही अमिया कच्ची
जीवन की शुरुआत वासना?
समझो माहुर घोल गयी
5766 Views
1 Comments
Comments
()
Add new commentAdd new reply
Cancel
Send reply
Send comment
Load more